भूली भटियारी का महल दिल्ली की करीब सात सौ साल पुरानी इसलामिक विरासत का नमूना है, जिसका नाम दिल्ली के प्रमुख प्रेतवाधित स्थलों में शुमार है। दरअसल भूली भटियारी का महल अरावली के लाल पत्थर से बना एक छोटा सा किला है, जो शाही लोगों की शिकारगाह थी।
भूली भटियारी महल का मुख्य प्रवेश द्वार
इस किले के दो प्रवेश द्वार हैं। पहले प्रवेश द्वार से अंदर घुसने के बाद एक बहुत छोटा सा अहाता आता है और उसके बाद इस महल में प्रवेश करने का द्वार आता है, जो एक बड़े आंगन में ले जाता है। इस आंगन में किनारों पर कमरे बने हैं, जो यहां रुकने वाले लोगों के ठहरने के काम आते थे।
भूली भटियारी के महल में चबूतरे की ओर जाती सीढ़ियां
इस महल के उत्तर की ओर सीढ़ियां हैं, जो एक चबूतरे की ओर ले जाती हैं। ऐसा लगता है, सुल्तान यहां विराजमान होकर किले में होने वाले उत्सव का लुत्फ उठाता होगा और किले से जंगल का नजारा देखता होगा। इस महल में बाहर की ओर किले की तरह बुर्ज हैं।
क्या है भूली भटियारी के महल का इतिहास
भूली भटियारी का महल तुगलक वंश के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने 14वीं शाताब्दी में बनवाया था। फिरोज शाह तुगलक (1351-1388) ने दिल्ली में यमुना के पास अपनी नई राजधानी ‘फिरोजाबाद’ के नाम से बसाई थी और वहां एक किले का निर्माण करवाया था, जिसे आज फिरोज शाह कोटला के नाम से जाना जाता है। फिरोजशाह कोटला को भी एक हॉन्टेड फोर्ट माना जाता है।
फिरोज शाह तुगलक का किलाः फिरोज शाह कोटला
फिरोज शाह तुगलक इतिहास, शिकार, सिंचाई और वास्तुकला का बहुत शौकीन था। फिरोज शाह तुगलक ने दिल्ली में कई शिकारगाह बनावाई थीं। इनमें भूली भटियारी का महल के अलावा बाड़ा हिंदुराव अस्पताल के पास ‘पीर गायब’, चाण्यक पुरी में स्थित ‘मालचा महल’, तीन मूर्ति भवन में स्थित ‘कुश्क महल’ और महिपाल पुर में एक शिकारगाह है।
नकारात्मक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है यह महल
यह महल अजीबोगरीब घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। भूली भटियारी का महल सरकार द्वारा संरक्षित तो कर दिया है, लेकिन इसका रखरखाव नहीं हो सका है। रात को यहां पैरानॉर्मल गतिविधियों का अनुभव किया गया है। कहते हैं इस महल में नकारात्मक शक्तियों का कब्जा है। यहां एक रानी की आत्मा भटकती है, जिसने यहां दम तोड़ा था।
भूली भटियारी महल का आंतरिक प्रवेश द्वार
ऐसी धारणा है कि कई गार्डों ने यहां रात में रानी के साए को घूमते हुए देखा है। कोई भी गार्ड यहां एक दिन से ज्यादा नहीं टिक पाया है। जो भी रात को यहां रुका, नकारात्मक शक्ति से उसका सामना हुआ और उसका अहित हुआ। आज स्थित यह है कि इस महल में कोई भी गार्ड नहीं रहता है। दिन के समय भी यदि आप इस स्थान पर अकेले जाएंगे, तो आपको हवा में एक अजीब सी हलचल महसूस होगी। एक मान्यता के अनुसार एक फकीर का अभिशाप भी इस महल से जुड़ा है।
दिन ढलने से पहले लगा दिए जाते हैं बैरिकेटर
भूली भटियारी का महलः शाम होते ही किया जाता है निरीक्षण
यह इलाका इतना सुनसान है कि शाम को ठीक साढ़े पांच बजे दिल्ली पुलिस इस स्थान का निरीक्षण करती है कि कोई इस जगह पर ठहरा तो नहीं है। उसके बाद इस महल तक जाने वाले मार्ग को बैरिकेटर लगाकर बंद कर दिया जाता है।
कैसे पड़ा भूली भटियारी नाम
एक मान्यता के अनुसार तुगलक वंश के सूफी संत ‘बु अली बक्थियारी’ के नाम पर इस शिकारगाह का नाम रखा गया था, जिसे लोगों ने तोड़-मरोड़कर भूली भटियारी कहना शुरू कर दिया।
दूसरी मान्यता यह है कि राजस्थान से भूरी नामक एक भटियारी जनजाति की महिला रास्ता भटक कर यहां आ गई और इस वीरान महल में रहने लगी। इस कारण यह भूली भटियारी का महल कहलाने लगा। इस तर्क को पुख्ता करने के लिए यह कहानी प्रचलित है-
भीतरी अहाते में लगा लोहे का गेट जिसे शाम को बंद कर दिया जाता है
एक बार दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक का कारवां शिकार के लिए भटकता हुआ इस शिकारगाह के पास पहुंच गया। सुल्तान के कारवां में पानी की आपूर्ति खत्म हो गई थी। सुल्तान बहुत प्यासा था। तभी उन्हें जंगल में एक सुंदर आदिवासी लड़की हाथ में पानी का पात्र लिए आती दिखी।
भूली भटियारी महल में चबूतरा, जिस पर सुल्तान आरूढ़ होता था
उस लड़की का नाम भूरी था और वह राजस्थान की भटियार जनजाति से संबंधित थी। सुल्तान ने अनुरोध किया, तो भूरी ने सुल्तान को पानी पिला दिया। सुल्तान को उस लड़की से प्यार हो गया। उसने यह महल उस लड़की को दे दिया। बाद में उस लड़की ने इस महल को सराय के रूप में बदल दिया।
भूली भटियारी महल का आंगल
तीसरी मान्यता यह है कि तुगलक वंश के बाद एक राजा ने इस जगह को अपनी शिकारगाह बना लिया था। उस राजा को अपनी रानी से बहुत प्रेम था। लेकिन एक दिन उसने रानी को किसी और व्यक्ति के साथ देख लिया। राजा ने उस रानी को इस जंगल के इसी महल में भटकने के लिए नजरबंद कर दिया।
भूली भटियारी का महलः मुख्य पऱवेश द्वार
कहते हैं उस रानी ने इसी जंगल में दम तोड़ दिया। उसकी लाश का भी कुछ पता नहीं चला। पता नहीं उसकी लाश कोई जानवर ले गया या कुछ और हुआ, किसी को कुछ पता नहीं।धारणा यह है कि उस रानी की आत्मा राजा से बदला लेने के लिए आज भी रात में यहां भटकती है और लोगों को सताती है।
और भी हैं भूतों की कहानियां
बहुत सालों से यहां भूतों की अनेक कहानियां प्रचलित हैं। कई लोगों ने यहां पुरुष और महिलाओं की आवाजें सुनने का दावा किया है। कुछ साहसी लोगों ने यहां रात में जाने का प्रयास किया, पर उन्हें पुलिस के प्रतिबंध का सामना करना पड़ा।
एक कहानी के अनुसार एक बार पतंग की डोर बनाने वाला एक व्यक्ति इस महल में सो गया। सुबह उसने लोगों को बताया कि रात को एक महिला के भूत ने उसके कान और बाल खींचे थे।
भूली भटियारी का आंतरिक अहाता
एक अन्य किस्से के अनुसार कुछ लोग ग्रुप में भूली भटियारी का महल देखने गए। कुछ लोग इस महल को देखने के बाद आगे जंगल की ओर निकल गए। वहां उन्हें एक सफेद दीवार दिखी। उन्होंने उसकी फोटो खींची। लेकिन फोटो में वह दीवार नहीं आई। उन्होंने वापस महल में आकर यह बात अपने साथियों को बताई, तो सब लोग उस दीवार को देखने वापस जंगल में गए। लेकिन दोबारा उन्हें वह दीवार नहीं दिखी।
भूली भटियारी के महल में रानी का कक्ष
मेरा भी अनुभव कम रोमांचकारी नहीं था। हम लोग शाम को साढ़े पांच बजे हनुमान जी की विशाल प्रतिमा के पीछे से जैसे ही भूली भटियारी की ओर आगे बढ़े, तो हमें खुले हुए बैरिकेटर दिखाई दिए। आगे बढ़े, तो एकदम वीरान जंगल शुरू हो गया। एक बार तो लगा कि चलो वापस लौट चलें, लेकिन तभी भूली भटियारी का महल दिखाई दिया।
डरावना लगता है भूली भटियारी के महल का परिदृश्य
महल से एक पुलिस कर्मी बाहर निकलता दिखाई दिया। वह यह जांच करने के लिए अंदर गया था कि अंदर कोई है या नहीं। वास्तव में बैरिकेटर लगाने से पहले जांच की जाती है कि कोई महल में रुक तो नहीं गया है।
भूली भटियारी के आंगन में पेड़ पर दिखाई दे रही है सफेद गोलाकार आकृति
मैं अकेला अंदर गया, परिवार के लोग बाहर कार में ही बैठे रहे। मैंने जल्दी-जल्दी उस स्थान के फोटो लेने शुरू किए। वहां मुझे वातावरण में कुछ अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी। हवा में अजीव सी हलचल थी। जब मैंने फोटो देखे, तो एक फोटो में एक सफेद आकृति पेड़ के बीच चांद की तरह बनी हुई नजर आई। मुझे इसका रहस्य आज तक समझ नहीं आया।
भूली भटियारी का महल की लोकेशन
सेंट्रल रिज रिजर्व फॉरेस्ट, 108 फुट संकट मोचन धाम, सिद्ध हनुमान मंदिर के पीछे, नई दिल्ली।
भूली भटियारी का महल की लोकेशन बड़ी रहस्यमय है। इसलिए नीचे गूगल मैप को व्यू एन्लार्ज करके लोकेशन देख लें। करोल बाग के गहन चहल-पहल वाले क्षेत्र में हनुमान जी की 108 फुट ऊंची प्रतिमा है, जिसके सामने से मेट्रो ट्रेन गुजरती है। यही दिल्ली का नया लैंडमार्क है। इस सड़क पर इतना अधिक ट्रैफिक रहता है कि गाड़ियां रेंग-रेंग कर निकलती हैं। लेकिन कोई नहीं जानता कि इस विशाल प्रतिमा के पीछे मात्र 250 मीटर की दूरी पर एक ऐसा बीयाबान और प्रेतवाधित जंगल है, जहां भूली भटियारी का महल स्थित है।
कनॉट प्लेस से करोल बाग की ओर आते समय जैसे ही आप हनुमान जी की इस विशाल प्रतिमा को क्रॉस करते हुए गोलचक्कर से ‘वंदे मातरम् रोड’ की ओर बाएं बढ़ोगे, तो मात्र 15 मीटर बाद ही एक पतली सी गलीनुमा सड़क ऊपर पहाड़ी पर जाती हुई दिखाई देगी। वहां आपको बाईं ओर बग्गा लिंक का पीछे का हिस्सा दिखाई देगा और उसकी बाइक्स खड़ी मिलेंगी। दाईं ओर एक दरगाह दिखाई देगी।
108 फुट संकट मोचन धाम सिद्ध हनुमान मंदिर के ठीक पीछ है भूली भटियारी का महल
ठीक उसी जगह पर आपको दिल्ली पुलिस के बैरिकेटर्स भी खुले हुए दिखाई देंगे। इसी सर्पीली सी सड़क पर जब आप आगे बढ़ेंगे, तो खुद को एक वीरान जंगल में पाएंगे। हनुमान मंदिर से मात्र 250 मीटर की दूरी तय करने के बाद आपको भूली भटियारी का महल दिखाई दे जाएगा।
अपने स्थान से भूली भटियारी का महल की दूरी और कार से लगने वाला समय का पता लगाने के लिए ऊपर डिस्टेंस कैलकुलेटर पर क्लिक करें।
कैसे पहुंचे
कनॉट प्लेस (राजीव गांधी मेट्रो स्टेशन) से दूरी 6 किलोमीटर है और यहां तक पहुंचने में कार से 15 मिनट का समय लगता है। आप ‘ओला’ या ‘उबर’ कैब का एप डाउनलोड करके दिल्ली में कहीं भी बाजिब दामों में यात्रा कर सकते हैं। इसके अलावा आपके पास ऑटो रिक्शा, बस और मेट्रो का ऑप्शन भी है।
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: झंडेवालान। यह स्टेशन ब्लू लाइन पर आता है। यहां से मात्र 400 मीटर की दूरी पर भूली भटियारी का महल है। अत: यहां से आप पैदल भी जा सकते हैं।
भूली भटियारी के महल के लिए दिल्ली के सभी महत्वपूर्ण स्थानों से बसें चलती हैं। आपके स्थान से इस महल तक कौन सी बसें और मेट्रो सेवा आपको सूट करती है, यह जानने के लिए ऊपर ‘बस और मेट्रो रूट’ पर क्लिक करें।
आवश्यक जानकारी
खुलने का समय: सुबह 8 बजे से 5.30 बजे
अवकाश: कोई अवकाश नहीं। साल में 365 दिन खुला रहता है।
प्रवेश टिकट: निशुल्क
फोटोग्राफी: फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी निशुल्क
भ्रमण में लगने वाला समय: 15 मिनट
नजदीकी आकर्षण
108 फुट संकट मोचन धाम सिद्ध हनुमान मंदिर, भारतीय आदिम जाति सेवक संघ संग्रहालय, गुरुद्वारा बंगला साहब, बुद्धा जयंती पार्क, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, अग्रसेन की बावली, लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल